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मनोज बाजपेयी: संघर्ष से सफलता तक का सफर और पत्नी का समर्थन

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मनोज बाजपेयी का अद्वितीय सफर

मनोज बाजपेयी, भारतीय सिनेमा के एक प्रतिष्ठित अभिनेता हैं, जो अपनी वास्तविक और प्रभावशाली अदाकारी के लिए जाने जाते हैं। बिहार के एक छोटे से गांव से निकलकर मुंबई की चमक-दमक में अपनी पहचान बनाना आसान नहीं था। उन्होंने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, कई बार अस्वीकृति का सामना किया और यहां तक कि तीन बार आत्महत्या करने की कोशिश भी की। लेकिन उनकी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें आज एक सम्मानित नाम बना दिया है।


पत्नी का समर्थन और मनोज का दृष्टिकोण

हाल ही में एक इंटरव्यू में, मनोज बाजपेयी ने एक दिलचस्प बात साझा की। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी शबाना रजा को यह विश्वास है कि उनका 32 साल तक इंडस्ट्री में टिके रहना किसी चमत्कार से कम नहीं है। शबाना का मानना है कि मनोज अक्सर विवादास्पद फिल्में चुनते हैं, जो व्यावसायिक रूप से सफल नहीं होतीं, फिर भी उन्हें लगातार काम मिलता है। यह उनके लिए एक रहस्य है। मनोज की सफलता केवल भाग्य का परिणाम नहीं है, बल्कि यह उनकी अद्वितीय प्रतिभा, जोखिम उठाने की क्षमता और काम के प्रति समर्पण का फल है।


सफलता का रहस्य

मनोज ने खुद स्वीकार किया कि उनकी सफलता का कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है। उनके अनुसार, इस इंडस्ट्री में सफल होने के लिए केवल प्रतिभा ही नहीं, बल्कि निरंतर मेहनत और दृढ़ संकल्प भी आवश्यक है। उनका करियर 1994 में फिल्म 'बैंडिट क्वीन' से शुरू हुआ, लेकिन असली पहचान 1998 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' से मिली। इस फिल्म में 'भीखू म्हात्रे' का उनका किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है। इसके बाद उन्होंने 'शूल', 'राजनीति', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'अलीगढ़' और हाल ही में 'जोरम' जैसी कई चुनौतीपूर्ण फिल्मों में काम किया।


ओटीटी पर सफलता

उनकी वेब सीरीज 'द फैमिली मैन' ने उनकी लोकप्रियता को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। 'श्रीकांत तिवारी' के रूप में उन्होंने एक जासूस का किरदार निभाया, जो अपनी पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन को संतुलित करने की कोशिश करता है। इस किरदार ने उन्हें न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक बड़ा प्रशंसक वर्ग दिया।


प्यार और शादी का महत्व

मनोज की व्यक्तिगत जिंदगी भी उनके पेशेवर जीवन की तरह ही दिलचस्प है। उनकी पत्नी शबाना रजा, जिन्हें ऑन-स्क्रीन 'नेहा' के नाम से जाना जाता है, ने 1998 में फिल्म 'करीब' से डेब्यू किया। मनोज और शबाना की पहली मुलाकात 1998 में फिल्म 'सत्या' के बाद एक पार्टी में हुई थी। कुछ वर्षों तक डेटिंग करने के बाद, उन्होंने 2006 में शादी कर ली। शबाना ने हमेशा मनोज का समर्थन किया और उनके लिए सबसे बड़ा सहारा बनीं। उनका मानना है कि मनोज का इंडस्ट्री में टिके रहना एक चमत्कार है, क्योंकि वे पारंपरिक रास्तों पर चलने के बजाय अपने दिल की सुनते हैं। उनके एक बेटी है, जिसका नाम अवा नायला है। यह परिवार अपनी निजी जिंदगी को मीडिया की चकाचौंध से दूर रखता है। मनोज बाजपेयी की कहानी उन सभी कलाकारों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।


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